7th CONVOCATION
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NIT Meghalaya
To be held on 4th December, 2020

आइये जानते हैं देश के शिक्षा मंत्री के बारे में...
हमारे देश में शिक्षा मंत्री के पद पर श्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, श्री फकरुद्दीन अली अहमद, श्री वी पी सिंह, श्री अर्जुन सिंह, भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री मुरली मनोहर जोशी जैसे अत्यंत प्रभावी व्यक्तित्व वाले राजनीतिज्ञ कार्य कर चुके हैं. इस पद पर आसीन व्यक्ति ना सिर्फ राजनीति में बल्कि शिक्षा एवं संस्कृति में गहरी रूचि रखने वाला होना चाहिए. इस समय इस पद पर माननीय डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी का चुनाव हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बहुत सोच विचार कर किया है.
डॉ निशंक 1991 में कर्णप्रयाग से पहली बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए उसके बाद लगातार दो बार 1993 और 1996 में फिर से विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए. उसके बाद उन्हें 1997 में पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया. उन्हें उत्तराँचल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया और 1998 में उन्हें संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्रालय का कार्यभार दिया गया.
डॉ निशंक की उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता को देखते हुए 2000 में जब पहली बार उत्तराखण्ड की अलग सरकार बनी तब एक बार फिर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी जी गई. उन्हें वित्त, ग्राम विकास, चिकित्सा सहित 12 विभागों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इसके बाद माननीय निशंक जी मार्च 2007 से लेकर जून 2009 तक उत्तराखण्ड सरकार में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, आयुष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के कैबिनेट मंत्री रहे.
जून में ही डॉ निशंक को उत्तराखण्ड का मुख्य मंत्री बनाया गया और वे इस पद पर 2011 तक बने रहे. वे उत्तराखड के पांचवें मुख्यमंत्री रहे. 2011 में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी गई. उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया और इस पद पर वो 2013 तक रहे.
इसके बाद 2014 में डॉ निशंक ने कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत को हरा कर हरिद्वार लोकसभा से पार्टी को सीट जितवाई. तब से लेकर 2019 तक उन्हें लोकसभा की सरकारी आश्वासन समिति का सभापति के पद पर भी रहे.
माननीय मंत्री जी के सम्मान में मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने कहा था कि डॉ निशंक दुनिया के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिनमें रजनीति, साहित्य और संस्कृति का एक समागम देखने को मिलता है.
एक बेहद गरीब परिवार से आने वाले माननीय मंत्री जी की शिक्षा के प्रति लगन इसी बात से जानी जा सकती है कि वो पढ़ने के लिए सात किलोमीटर लम्बे कठिन पहाड़ी रास्तों को पार करते थे.
डॉ निशंक ना सिर्फ एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं बल्कि एक समर्थ लेखक भी हैं. सक्रीय राजनीति में रहते हुए भी लेखन का काम जारी रखा और वो 75 से ज्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं जो कि पूरी दुनिया और भारत में 10 से ज्यादा भाषाओँ में प्रकाशित हुई हैं. इन 75 किताबों में काव्य संग्रह एवं कथा संग्रह शामिल है और उनमें से बहुत सी रचनाओं का अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मराठी, जर्मन, फ्रेंच, आदि कई भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है.
डॉ निशंक द्वारा रचित पहला काव्य संग्रह “समर्पण” 1983 में प्रकाशित हुआ था जिसका लोकार्पण पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा जी ने किया था.
माननीय मंत्री जी की पुस्तकों का अनावरण पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम सहित, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई, पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुख़र्जी जैसे सम्मानित राजनीतिज्ञों ने भी किया है एवं मंत्री जी की रचनाओं को सराहा है.
एक बार पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई जी, जो कि स्वयं साहित्य की और कविताओं की बहुत अच्छी समझ रखते थे, ने एक समारोह के दौरान माननीय मंत्री जी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि शायद ही दुनिया में कोई ऐसा राजनीतिज्ञ हो जो राजनीति और साहित्य दोनों में एक साथ सक्रीय हो.
डॉ निशंक देश के पहले ऐसे शिक्षा मंत्री है जिनकी 25 से ज्यादा रचनाओं पर शोध चल रहा है और छात्र पीएचडी और डी लिट् के थीसिस तैयार कर रहे हैं. निशंक जी पर 7 शोध और 7 लघु शोध हो चुके हैं जबकि 10 शोध और दो डिलीट चल रहे हैं.
शिक्षा मंत्रालय जैसा अहम मंत्रालय सँभालने वाले श्री निशंक पहले ऐसे शिक्षा मंत्री हैं जिन्हें न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी सम्मान मिला है. जहाँ एक ओर माननीय मंत्री जी को भूटान, यूगांडा, नेपाल और मॉरिशस के प्रधानमंत्रियों द्वारा सम्मान मिला है वहीँ उनकी साहित्यिक कला को यूएई, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, यूक्रेन, इंडोनेशिया, जापान और थाईलैंड में सम्मानित किया जा चुका है.
देश के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक की कमान सँभालने एवं देश-विदेशों से सम्मानित होने के बावजूद भी माननीय डॉ निशंक मृदुभाषी होने के साथ साथ बहुत ही सरल व्यक्तित्व के धनी है और इतने सालों की कड़ी मेहनत के बावजूद आज भी स्वयं को देश सेवा के लिए तत्पर रखते हैं और पूरे दिन में सिर्फ 4-5 घंटे ही विश्राम करते हैं.

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